Wednesday, March 28, 2012

रो रो कर पुकारती है माटी अपने बेटों को

शहर नक्शों में नहीं दिलों में बसा करते हैं और जब इसके बाशिंदे इससे बिछड़ जाते हैं तो टूटे रिश्तों की तरह सालते हैं । फतेहपुर की भी कहानी इसी टूट कर बिखरी माला की मानिंद नजर आती है जिसके मनके एक दूसरे से जुदा होकर कोने कोने में बिखर गए हैं । देश के प्रख्याततम उद्योगपतियों की इस जन्म स्थली की बदकिस्मती है की देश के अनेक महा नगरों को अपना कर्म क्षेत्र बनाने वाले प्रवासी बंधुओं ने आज अपनी जन्म भूमि को मात्र मंगलोत्सवों तक सीमित कर दिया है ।
यहाँ के सेठ साहूकारों ने कस्बे की पहचान को कायम रखते हुए तत्कालीन समय में एक से बढ़कर एक भव्य हवेलियों का निर्माण करवाया । नवाबों के शासनकाल में भी यहाँ कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया गया था । लेकिन आज ये बदहाल स्थिति में खड़ी अपने निर्माताओं को कोस रही है ।

नवाब फ़तेह खाँ की ओर से बनाया गया ऐतिहासिक गढ़ आज खँडहर का रूप ले चुका है तो नवाब जलाल खॉँ की ओर से बनाई गयी बावड़ी कचरा गृह बन कर अतिक्रमण की भेंट चढ़ती जा रही है । नवाब अलीफ खाँ के समय में बना मकबरा भी प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अपना मूल स्वरूप खो रहा है । कस्बे के सेठ साहूकारों ने अपनी जन्म भूमि में एक से बढ़कर एक जनकल्याण के कार्य किये मगर उन सेठ साहूकारों की युवा पीढी ने अपने पुरखों की विरासत को बिसरा सा दिया है । सेठ साहूकारों ने भित्ति चित्रों से सजी हुई भव्य हवेलियों का निर्माण करवाकर कस्बे को विश्वभर में ओपन आर्ट गेलेरी का नाम दिलाया । लेकिन अब इन हवेलियों को बेचा जा रहा है तो खरीदने वाले इन्हें तोड़कर मिट्टी में दफ़न कर रहे हैं ।
कस्बे की इस अनमोल विरासत के संरक्षण को लेकर राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण वर्त्तमान में वास्तु शिल्प की अद्भुत कला व भित्ति चित्रों से अटी हवेलियों की दुर्दशा हो रही है । इनके चित्र बदरंग हो रहे हैं और  हवेलियाँ कॉम्प्लेक्स का रूप ले रहीं हैं । सरकार ने शहर को हैरिटेज सिटी का दर्जा देकर सौंदर्यीकरण  के नाम पर लाखों रुपये भी खर्च किये मगर जब तक इन हवेलियों का संरक्षण नहीं होता तब तक हैरिटेज सिटी का सौंदर्यीकरण  नहीं हो सकता है । बहुत बड़ी विडम्बना है कि जहां इन हवेलियों के मालिक इन्हें कंकरीट के जंगलों में तब्दील करने पर आमादा हैं वहीं यहाँ की अनोखी विरासत , कला व संस्कृति से प्रेरित होकर फ्रांस की नादीन ली प्रिन्स ने यहाँ हवेली खरीद आर्ट गैलेरी की स्थापना कर रखी है  । इन हवेलियों में  भित्ति चित्रों, कला व संस्कृति पर शोध करने विदेशी विद्यार्थी अक्सर आते रहते हैं । साफ़ है कि आज भी पर्यटन एवं ऐतिहासिक दृष्टि से फतेहपुर में अनेक संभावनाएं मौजूद है बस जरूरत है तो पहल करने की ।

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