Saturday, September 4, 2010

भादी मावस पे खुलती हैं हवेलियाँ

समूचा शेखावाटी संभाग  कलात्मक हवेलियों के कारण पुरे विश्व में प्रसिद्ध रहा है. यहाँ का पर्यटन व्यवसाय केवल इन हवेलियों पर ही टिका हुआ है. अगर ये हवेलियाँ यहाँ नहीं रही होती तो कोई विदेशी यहाँ रूद्र, नीरस,तप्त हरियाली विहीन क्षेत्र में आना पसंद नहीं करता. राजस्थान के पर्यटन नक़्शे से यह भाग कटा हुआ होता. जो भी विदेशी सैलानी यहाँ आता है, निरंतर भग्न होती जा रही इन हवेलियों के कलात्मक वैभव को निहारता है, प्रसन्न होता है, फिर इस अनोखी धरोहर के क्षरण पर अफ़सोस प्रकट करता है. वह कहता है- सरकार और नागरिको को इस अनमोल धरोहर को बचाना चाहिए, वे इस ओर तत्पर क्यों नहीं है? कतिपय सैलानी किसी हवेली के बाहरी दृश्यों पर मुग्ध होने के बाद उसे भीतर से देखने क़ि इच्छा प्रकट करता है, किन्तु वह ताले के पार बंद हवेली को देख नहीं सकता. वह पूछता है यहाँ के गाइडों को क़ि यह हवेली कब खुलेगी? तो जवाब मिलता है- भादी मावस को. भाद्रपद क़ि अमावस्या के दो दिन पहले हवेली खुल भी सकती है- ऐसा विश्वास यहाँ के स्थानीय वाशिंदों को रहा है. 

कई बार यह विश्वास टूट भी जाता है- भादी मावस को भी हवेली मालिक सेठ नहीं आता है. अगर कोई हवेली मालिक आता भी है तो वह हवेली के भीतर के तालों क़ि जांच करने के लिए आता है. प्रवास में ए. सी. में रहने वाले हवेली मालिको के लिए हवेली का घुटन और उमस भरा वातावरण असहनीय होता है. इसलिए यहाँ आकर भी अत्याधुनिक भवनों में रुकते है. बहुत थोड़े से लोग ऐसे भी है जो अपनी हवेली में ठहरना पसंद करते हैं. ये हवेलियाँ वे हैं जिनमे चौकीदार अथवा मुनीम क़ि व्यवस्था है. कैसी विडम्बना है क़ि कुछ ही दशक पूर्व जिन हवेलियों में जीवन स्पंदित होता था,वे अब नितांत सूनी हैं तथा अपने मालिकों क़ि उपेक्षा का भार ढो रही हैं. उनके पलस्तर दिख रहे हैं. सूअर सेंध मार कर रहे हैं. चोर कोरनी किये हुए बहुमूल्य दरवाजे चुरा कर ले जा रहे हैं. कहना उचित नहीं होगा- घोर अवहेलना क़ि शिकार यह धरोहर थोड़े ही अरसे में सिमट जानी है और इसकी जगह सीमेंट कंकरीट का जंगल उग जाएगा. कितनी अच्छी हवेलियों की जगह आज व्यवसायिक कोम्प्लेक्स बन गए हैं. यही नियति दूसरी हवेलियों की होनी है.

1 comment:

  1. Namskar akit ji,
    Bhut badia likha h eski jitni parsansa ki jay utnihi kam h, jo aj hakihat h wo apne kha h
    thx

    Kailash Shekhawat
    dubai

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